किसी भी घटना के विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि प्रकृति में किसी भी तरह की कमी नहीं है। परन्तु जो हुआ है, ऐसा होना ही तय था या इसके अलावा कुछ और नहीं हो सकता था। यह कहना अनुचित होगा।
क्योंकि प्रकृति संभावना पर कार्य नहीं करती। ऐसा नहीं है कि राम 100 डिग्री सेल्सियस तक पानी गर्म करेगा। तभी पानी उबलेगा। श्याम के हाथों पानी नहीं उबलेगा या कुछ और ही परिणाम प्राप्त होगा।
जबकि प्रकृति प्रायिकता पर कार्य करती है। इसके प्रत्येक घटक मानो इंतजार में ही रहते हैं। और वे जानते हैं कि उनके साथ कौन-कौन से संयोग बन सकते हैं ! वे घटक प्रत्येक संयोग के लिए तैयार रहते हैं।
फिर चाहे मेरे ही हाथों मेरी ही पैर पर चाकू क्यों न गिरा हो। खून तो निकलेगा ही। तब चाकू यह नहीं सोचेगा कि आखिर अज़ीज़ स्वयं को क्यों नुक्सान पहुँचाना चाहेगा !! वह तो मेरे पैर को नुक्सान अवश्य पहुंचाएगा।
क्योंकि प्रकृति संभावना पर कार्य नहीं करती। ऐसा नहीं है कि राम 100 डिग्री सेल्सियस तक पानी गर्म करेगा। तभी पानी उबलेगा। श्याम के हाथों पानी नहीं उबलेगा या कुछ और ही परिणाम प्राप्त होगा।
जबकि प्रकृति प्रायिकता पर कार्य करती है। इसके प्रत्येक घटक मानो इंतजार में ही रहते हैं। और वे जानते हैं कि उनके साथ कौन-कौन से संयोग बन सकते हैं ! वे घटक प्रत्येक संयोग के लिए तैयार रहते हैं।
फिर चाहे मेरे ही हाथों मेरी ही पैर पर चाकू क्यों न गिरा हो। खून तो निकलेगा ही। तब चाकू यह नहीं सोचेगा कि आखिर अज़ीज़ स्वयं को क्यों नुक्सान पहुँचाना चाहेगा !! वह तो मेरे पैर को नुक्सान अवश्य पहुंचाएगा।
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