हम उन सभी चीजों को देख सकते हैं। जिन्हें देखा जा सकता है। चाहे उनका आकार अतिसूक्ष्म ही क्यों ना हो। चाहे बात गुरुत्वीय या परमाण्विक धरातल के स्तर की ही क्यों ना हो। परन्तु इन चीजों को अलग-अलग युक्तियों द्वारा ही देख सकते हैं। लेकिन उन रचनाओं को नहीं देखा जा सकता। जिसके कारण हम दृश्य जगत को देख पाते हैं। इसे ही अदृश्य जगत कहा जाता है।
अदृश्य जगत में शक्ति, ऊर्जा, उद्देश, गणितीय मॉडल और अवयवों की क्रियाएँ शामिल है। जिसके आधार पर घटनाओं का वर्गीकरण, समान प्रजाति में भी भिन्नता और ब्रह्माण्ड का अवस्था के आधार पर अध्ययन करना संभव हो पाता है। इसका तात्पर्य यह नहीं है, कि अदृश्य जगत नहीं है। यह मात्र कोरी कल्पना है। बल्कि अदृश्य जगत को सैद्धांतिक प्रकरण माना जा सकता है। जिसका आशय वास्तविक अस्तित्व से है। क्योंकि प्रायोगिक प्रकरण में गणना और मापन के आधार पर परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है। यह वास्तविकता का अस्तित्व है। इस तरह प्रत्येक जगत की अपनी अलग उपयोगिता होती है।
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