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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी वस्तु को लाल दिखने के लिए श्वेत प्रकाश में से केवल लाल रंग की तरंगदैर्ध्य को उत्सर्जित करना होता है। और शेष रंग की तरंगदैर्ध्य को अवशोषित करना होता है। ताकि वह वस्तु लाल दिख सके। यह क्रिया लाल रंग को दर्शाती है। किन्तु जब वहीं एक गतिशील वस्तु के द्वारा स्थिर वस्तु का प्रदर्शन किया जाता है। तब वह क्रिया स्थिति का प्रदर्शन करती है। अब आप समझ गए होंगे कि हम क्रियाओं के दर्शन और प्रदर्शन की चर्चा कर रहे हैं। आज का लेख प्रदर्शन की क्रिया पर आधारित है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं सिर्फ एक स्थान से दूसरे स्थान तक किसी संदेश के पहुँचने को संचार नहीं कहा जाता। क्योंकि संचार के लिए आवश्यक है कि संदेश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने पर प्रतिक्रिया दी जाए। यानि कि प्रतिक्रिया का प्रदर्शन संचार कहलाता है। यह प्रतिक्रिया किसी भी रूप में दी जा सकती है। हो सकता है कि प्रतिक्रिया के रूप में एक और संदेश पहुँचाया जाए। संचार के लिए आवश्यक नहीं होता है कि आपका संचार प्रभावी हो ! ठीक इसी तरह से साक्षरता का मतलब यह नहीं होता कि आपसे लोगों की भाषा (शब्दों के अर्थों) को समझना आता है अथवा नहीं ! साक्षरता का मतलब यह है कि क्या आप उचित शब्दों के प्रयोग से अपनी बात को औरों तक पहुंचा सकते हो अथवा नहीं ? यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो आप साक्षर हैं। अब यदि मैं पूंछूं कि शिक्षित कौन है ? तब आप कहेंगे कि जो लोगों को शिक्षित कर सके। यानि कि वह व्यक्ति कदापि शिक्षित नहीं कहलाता है जो सिर्फ पास हुआ हो अथवा जिसने केवल ज्ञान को अर्जित किया हो। शिक्षा अथवा ज्ञान वह चीज है जिसको ग्रहण करने वाला व्यक्ति उसके (शिक्षा/ज्ञान) महत्व को समझने लगता है। और वह लोगों को शिक्षित होने की सलाह अथवा शिक्षा देने लगता है। यहाँ पर भी शिक्षित होना अपने आप को शिक्षित प्रदर्शित करना है।


आपने संचार, साक्षरता और शिक्षण तीनों उदाहरणों में देखा कि किस प्रकार से संचार, साक्षरता और शिक्षित होना एक प्रदर्शन की क्रिया है। तीनों क्रियाओं में परिणाम महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होती है। अब हम विज्ञान के प्रदर्शन पर चर्चा करेंगे। विज्ञान के इन चारों स्तंभों को समझने के बाद आप स्वयं निर्णय लेने में सक्षम सिद्ध होंगे। विज्ञान के एक जानकार में कुछ गुण स्वतः उत्पन्न हो जाते हैं जिससे कि वह जानकार अध्ययन, वर्गीकरण, विश्लेषण और निर्णय लेने में सक्षम हो जाता है। इस तरह से वह व्यक्ति विज्ञान का जानकार होने का प्रदर्शन करता है। इन सभी प्रदर्शन की क्रियाओं का संबंध विशेषण की गुणवत्ता से नहीं होता है। बल्कि इन क्रियाओं का संबंध सिर्फ विशेषण को परिभाषित करना होता है।

टीप : पहले गद्यांश में यदि आपको स्थिति के प्रदर्शन की क्रिया को समझने में दिक्कत आ रही है तो आप सापेक्षता को ध्यान में ला सकते हैं। इसके बाबजूद समझने में कठनाई बनी रहती है तो हम चर्चा के लिए हमेशा से आपके साथ हैं।

अज़ीज़ राय के बारे में

आधारभूत ब्रह्माण्ड, एक ढांचा / तंत्र है। जिसमें आयामिक द्रव्य की रचनाएँ हुईं। इन द्रव्य की इकाइयों द्वारा ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ। आधारभूत ब्रह्माण्ड के जितने हिस्से में भौतिकता के गुण देखने को मिलते हैं। उसे ब्रह्माण्ड कह दिया जाता है। बांकी हिस्से के कारण ही ब्रह्माण्ड में भौतिकता के गुण पाए जाते हैं। वास्तव में आधारभूत ब्रह्माण्ड, ब्रह्माण्ड का गणितीय भौतिक स्वरुप है।
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