वर्तमान में ज्ञात भौतिकता के रूप = अवयव, कण, पिंड, निकाय (बंद या खुला) और निर्देशित तंत्र (जड़त्वीय या अजड़त्वीय), भौतिकता के किसी भी रूप की समानता, आधारभूत ब्रह्माण्ड की संरचना के साथ नहीं की जा सकती। फिर चाहे भौतिकता के किसी भी रूप के गुण, उस संरचना से ही क्यों ना मिलते हों। कहने का तात्पर्य आधारभूत ब्रह्माण्ड को ना ही कण कहा जा सकता है और ना ही एक बड़ा पिंड… वहीं आधारभूत ब्रह्माण्ड को ना ही एक निकाय कहा जा सकता है और ना ही एक निर्देशित तंत्र कहा जा सकता है। यदि आधारभूत ब्रह्माण्ड की संरचना को एक जड़त्वीय निर्देशित तंत्र मान लिया जाए। तो हमें पता चलता है कि विशिष्ट संरचना के द्वारा अजड़त्वीय निर्देशित तंत्र के गुण भी दर्शाए जाते हैं। वहीं बंद निकाय मानने पर हमें पता चलता है कि संरचना के द्वारा खुले निकाय के गुण भी दर्शाए जाते हैं। वास्तव में भौतिकता के सभी रूपों का विश्लेषण आधारभूत ब्रह्माण्ड के द्वारा ही होता है। यही भ्रम का कारण बन जाता है।
(१) दिखलाई गई संरचना, आधारभूत ब्रह्माण्ड की संरचना नहीं है। अपितु यह ३- आयामिक संरचना के लिए ४- आयामिक संरचना का निरूपण है।
(२) भौतिकता के सभी रूप भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित होते हैं। उनको एक मान लेना, हमारी गलती होगी।
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