कुछ वर्षों पूर्व हमें ज्ञात हुआ है कि ब्रह्माण्ड किसी विशिष्ट आरंभिक शर्तों के साथ अस्तित्व में नहीं आया। और साथ ही सर "स्टीफन विलियम हाकिंग" के द्वारा इस बात की जानकारी दी गई कि आज का ब्रह्माण्ड पूर्व की कई संभावित अवस्थाओं के अध्यारोपण का परिणाम है। इसके बाबजूद कुछ लोगों के मन में यह प्रश्न बना रहता है कि किस तरह की शर्तों के कारण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति नही हुई है ?? विज्ञान का इन शर्तों से क्या अभिप्राय है ?? परन्तु ऐसे प्रश्न करने से पहले हमें यह भी सोचना होता है कि कहीं हमारे प्रश्न गलत तो नही !! क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार इन शर्तों का अस्तित्व ही नही है। तो उनके प्रकार कैसे हो सकते हैं !! अतः शर्तों के महत्व को समझने से पहले यह जानना होगा है कि कौन-कौन सी शर्तों का अस्तित्व है अथवा हो सकता है ??
विज्ञान द्वारा जब कहा जाता है कि किसी वस्तु का रंग लाल है। तो इसका तात्पर्य यह है कि उस लाल रंग की वस्तु के साथ ब्रह्माण्ड में प्रकाश की उपस्थिति भी है। प्रकाश की उपस्थिति उस लाल रंग की वस्तु की प्रमुख शर्त कहलाएगी। ब्रह्माण्ड में कभी भी ऐसा नही होगा कि कोई वस्तु लाल रंग की हो और प्रकाश की उपस्थिति न हो। इस तरह की शर्तों को सैद्धांतिक शर्तें कहते हैं। चूँकि ये शर्तें संरचना पर आधारित होती हैं। इसलिए इन्हें संरचनीय शर्तें कहा जा सकता है। ये सभी शर्ते विज्ञान का आधार होती हैं। इन शर्तों के आलवा किसी भी शर्तों को "ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति" का कारण नही माना जा सकता।
टीप : ब्रह्माण्ड के अस्तित्व को हम चाहे उत्पत्ति (कुछ नही से कुछ होने के संकेत के रूप में) मानें या फिर निर्माण (अवस्था परिवर्तन अर्थात एक रूप से दूसरे में रूपांतरण) सैद्धांतिक शर्तों के कारण ही ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया है। आखिर ब्रह्माण्ड ऐसा क्यों है ? इन्ही शर्तों के कारण.. यदि वैसा होता तो ?? मैं कहता कि उसकी शर्तों के कारण..। ये सैद्धांतिक शर्तें निर्धारित प्रकृति की वजह हैं। आधारभूत ब्रह्माण्ड स्वतः निर्मित ब्रह्माण्ड है। परन्तु इसकी भी सैद्धांतिक शर्तें हैं। जो इसकी बनावट पर आधारित हैं।
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