यह घटना किसी व्यक्ति विशेष की नहीं है। अपितु १० में से ८ उन हर उत्सुक विद्यार्थियों की है। जो हमेशा हर चर्चित विषय पर यह सोचते हैं कि क्या सामने वाला व्यक्ति सही कह रहा है ! सामने वाले व्यक्ति की सोचने की प्रणाली कैसी है ! वह शब्दों को किस तरह से स्वीकारता है ! क्या वाकई सामने वाला व्यक्ति विषय को जानता है ! उससे वह कभी रूबरू हुआ भी है या नहीं ?? वगैरह-वगैरह...
हम नहीं जानते कि यह घटना हमारे साथ घटी भी है या नहीं.. एक बार एक विद्यार्थी को एक शब्द मिलता है। ठीक उसी तरह से जैसे कि किसी २ वर्ष के शिशु को एक सिक्का मिलता है। विद्यार्थी उस शब्द के बारे में और जानना चाहता है। उसने इस शब्द के बारे में लोगों से पूंछना शुरू कर दिया। तरह-तरह के लोगों से उसने चर्चाएँ की। जब भी कोई व्यक्ति उसके संपर्क में आता, वह इसी शब्द से उसकी भेंट करा देता। ठीक उसी तरह से जैसे एक नन्हा बालक के पास खिलौना आने पर वह सभी को यह बतलाना चाहता है कि उसके पास एक खिलौना है। भिन्न-भिन्न अर्थों को दर्शाने वाला यह शब्द लोगों के द्वारा भिन्न-भिन्न अर्थों को दर्शा रहा था। परन्तु वह विद्यार्थी तब भी उस शब्द से उतना ही अपरिचित था। जितना की शब्द के मिलने के बाद से था। असंतोष जनक उत्तर की प्राप्ति विद्यार्थी को उस प्रश्न से दूर करने लगी। कुछ समय बाद तक वह प्रश्न उसे याद रहा। परन्तु वह उसे और समय तक याद नहीं रख सका। और अंततः उस प्रश्न को भूल गया।
एक समय आया जब वह किसी नए विषय पर अपने शोध पत्र को पढ़ रहा था। शोध को पढ़ते- पढ़ते वह अचानक रुक जाता है। शोध पाठन को आगे नहीं बढाया जा सकता था। वह शब्दों की कमी को महसूस कर रहा था। वह जिस शोध को पढ़ रहा था। उसका पूरा भौतिकीय अर्थ वह जानता था। उसका चित्रण अभी भी उसके दिमाग में था। फिर भी वह शोध पत्र को आगे नहीं पढ़ सका। क्योंकि वह अभी भी उस शब्द के भौतिकीय अर्थ को नहीं जान पाया था। जिसका असफल प्रयास वह पहले ही कर चूका था। क्षण भर बाद वह उसी शब्द का प्रयोग कर आंगे बढ़ जाता है। इस तरह से वह उस शब्द के भौतिकीय (उभयनिष्ट) अर्थ को जान जाता है।
- अज़ीज़ राय
We invite you to Aviva's #BloggerContest. To read the T&C and participate, click on http://bit.ly/134qouZ!
जवाब देंहटाएं