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जब आप स्वयं के तर्कों (सैद्धांतिक) की गलतियों को स्वीकार करने लगते हैं। तब आप विज्ञान और उसकी सुन्दरता को भलीभांति समझ और देख सकते हैं।
  • जब किसी शाब्दिक घटना के भौतिकीय अर्थ में दूरी से अधिक दिशा का महत्व हो। तो यह जान लो ब्रह्माण्ड का दिमागी चित्रण सीमितता को लिए हुए है।
  • जब घटक की व्यापकता से ज्यादा घटनाओं का कारण जानना महत्वपूर्ण हो। तो यह मान लो ब्रह्माण्ड सीमितता को लिए हुए है।
  • जब किसी कार्य के दूरस्थ क्रियान्वय की तुरंत आवश्यकता होती है। तब वहां समय "उपयोगी साधनों" पर निर्भर करता है। न की उस दूरी पर निर्भर करता है। जहाँ पर तुरंत कार्य के क्रियान्वय होने की आवश्यकता होती है।
  • ब्रह्माण्ड के आधारभूत गुण, आधारभूत ब्रह्माण्ड की व्यापकता और प्रकृति निर्धारण का कारण बनते हैं।
  • जिस तरह परमाणु का स्टैंडर्ड मॉडल, हिग्स-बोसोन (गॉड पार्टिकल) के बिना अधूरा है। ठीक उसी तरह "आधारभूत ब्रह्माण्ड" की विशिष्ट संरचना के लिए आवश्यक है एक समान वेग से स्वतः गतिशील पिंड का अस्तित्व होना !!
  • भेदभाव करना प्रकृति का कार्य नही है। जब कभी आप भेदभाव होते हुए देखें, तो यह समझ लें यह उसकी प्रकृति नहीं है।
  • ब्रह्माण्ड में समय एक समान नही बटा।
  • परिवर्तन सब कुछ नष्ट कर देता है। फिर भी यह क्रम जारी है।
  • भौतिकता के सभी रूप भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित होते हैं। उन सभी को एक मान लेना, हमारी सबसे बड़ी गलती होगी।
  • प्रत्येक गणितीय संरचना तीनों आयामों को प्रदर्शित करती है। परन्तु प्रत्येक भौतिकीय रचना सिर्फ तीन आयामों को प्रदर्शित करे। यह जरुरी नही है।
  • प्रत्येक भौतिकी घटना के विश्लेषण की उपयोगिता होती है। किन्तु प्रत्येक शाब्दिक घटना का भौतिकी अर्थ निकलता हो... यह जरुरी नही है।
  • विज्ञान के अनुसार जादू जैसी कोई चीज नहीं होती। परन्तु विज्ञान से अनजान व्यक्तियों के लिए भौतिकी और विज्ञान किसी जादू से कम भी नहीं।
  • संरचना ही किसी भी वस्तु, जीव, निर्जीव, जंतु, पौधे, घटना या विषय की प्रकृति निश्चित करती है। विज्ञान के पास विशिष्ट संरचना ही एक मात्र विकल्प है। जिसे वह ईश्वर के अस्तित्व के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

अज़ीज़ राय के बारे में

आधारभूत ब्रह्माण्ड, एक ढांचा / तंत्र है। जिसमें आयामिक द्रव्य की रचनाएँ हुईं। इन द्रव्य की इकाइयों द्वारा ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ। आधारभूत ब्रह्माण्ड के जितने हिस्से में भौतिकता के गुण देखने को मिलते हैं। उसे ब्रह्माण्ड कह दिया जाता है। बांकी हिस्से के कारण ही ब्रह्माण्ड में भौतिकता के गुण पाए जाते हैं। वास्तव में आधारभूत ब्रह्माण्ड, ब्रह्माण्ड का गणितीय भौतिक स्वरुप है।
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