सर अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार ऊर्जा और द्रव्य को आपस में रूपांतरित किया जा सकता है। जिसको आपने द्रव्य-ऊर्जा तुल्यता (E = mc2) के समीकरण के रूप में दर्शाया।
वैज्ञानिक इस सम्बन्ध को आज भी ऊर्जा और द्रव्य के रूप में देखते हैं। आशय यह है कि वैज्ञानिकों के अनुसार निर्देशित ऊर्जा को द्रव्य में अथवा द्रव्य को ऊर्जा में बदला जा सकता है।
हमारे अनुसार ऊर्जा और द्रव्य एक विशिष्ट पदार्थ के रूप हैं। जिन्हें हम व्यव्हार के रूप में देखते आए हैं। चूँकि वैज्ञानिकों ने अभी तक उस पदार्थ के गुणों की खोज नहीं की है। इसलिए वे सभी ऊर्जा और द्रव्य को एक विशिष्ट पदार्थ के रूप में नहीं देख सकते। परन्तु हमने महा-एकीकरण सिद्धांत के द्वारा उस पदार्थ के गुणों को पाया है। जो सिद्धांत के रूप में परिभाषित है। यह वह एक मात्र कारक है। जिसे प्रत्येक घटना का एक और केवल एक मात्र कारण मान सकते हैं।
Eienstien sir Zindabad..
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