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वैसे तो यह तय करने वाले हम कौन होते हैं ? कि विज्ञान क्या है और क्या नहीं है ! कुछ लोगों के लिए विज्ञान आज भी संशय का विषय बना हुआ है। परन्तु विज्ञान के बारे में या यूँ कहें विज्ञान की शर्तों के बारे में हम कुछ जानते हैं। जिसके द्वारा हम यह तय कर सकते हैं कि वास्तव में विज्ञान क्या है ? "विज्ञान न केवल ब्रह्माण्ड की प्रकृति, भौतिकता के रूपों और भविष्य में होने वाली घटनाओं से हमारा परिचय करवाता है। बल्कि साथ ही साथ अविष्कार और खुशहाल ज़िंदगी जीने के सुअवसर भी प्रदान करता है।" हो सकता है कि आपको ये पंक्तियाँ विज्ञान की परिभाषा लगती हों। परन्तु इन पंक्तियों में विज्ञान की शर्तें लिखी गई हैं। न कि यह विज्ञान की परिभाषा है।

विज्ञान : जो भी हो। उसे स्वीकारें। यही विज्ञान है। हम चाहेंगे कि इसे विज्ञान की परिभाषाओं में गिना जाए। जैसा कि पहली पंक्ति में लिखा गया है कि जो भी हो, यानि की किसी भी वस्तु या विषय के बारे में पूर्व से ही अपनी राय न बनाना। दूसरी पंक्ति में लिखा गया है कि उसे स्वीकारें, यानि की जो है, उसे आप किस तरह से समझते हैं ताकि आप लोगों को समझा सकें। जिससे कि विज्ञान की सभी शर्तें पूरी होती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो विज्ञान, वैज्ञानिक पद्धति है।

भौतिकी : गति और स्थिति के संयोजित रूप को भौतिकी कहते हैं। यह अपने आप में अपूर्ण परिभाषा है। क्योंकि परिभाषा में यह नहीं बतलाया गया है कि हम किसकी गति या स्थिति की चर्चा कर रहे हैं। क्या वह ऊर्जा है या फिर द्रव्य या फिर प्रमुख रूप से कोई पदार्थ ! तय हो जाने पर यह भौतिकी की सबसे अच्छी परिभाषाओं में से एक है।

तकनीक : विज्ञान को रोमांचित बनाने का काम तकनीकी ने किया है। लोगों की सोच को बदला है। यहाँ तक की वैज्ञानिकों को पुनः सोचने पर मजबूर किया है। कुछ लोगों का तकनीकी के बारे में ऐसा तक सोचना है कि हम यानि की मनुष्य तकनीकी के सहयोग से सब कुछ कर सकता है। सब कुछ..! ऐसा सोचना और इस तथ्य पर विश्वास करना पूर्णतः गलत है। तकनीकी के सहयोग से वह सब कुछ किया जा सकता है। जिसे करना संभव है। चूँकि हम ब्रह्माण्ड को पूर्णतः नहीं जानते हैं। इसलिए यह निर्धारित करना असंभव है कि क्या-क्या करना संभव है। तकनीकी, भौतिकी की सीमा में रहकर कार्य करती है। तकनीकी की उत्पत्ति और उसके विकास में विज्ञान की सबसे बड़ी भूमिका रही है।

तकनीकी का विकास मनुष्य की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य के साथ ही होता है। विज्ञान का विकास हमारी समझ की वृद्धि के साथ ही साथ होता है। परन्तु भौतिकी का विकास असंभव है।

संदर्भ : विज्ञान क्या है ?? - डॉ. नीरजा राघवन

अज़ीज़ राय के बारे में

आधारभूत ब्रह्माण्ड, एक ढांचा / तंत्र है। जिसमें आयामिक द्रव्य की रचनाएँ हुईं। इन द्रव्य की इकाइयों द्वारा ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ। आधारभूत ब्रह्माण्ड के जितने हिस्से में भौतिकता के गुण देखने को मिलते हैं। उसे ब्रह्माण्ड कह दिया जाता है। बांकी हिस्से के कारण ही ब्रह्माण्ड में भौतिकता के गुण पाए जाते हैं। वास्तव में आधारभूत ब्रह्माण्ड, ब्रह्माण्ड का गणितीय भौतिक स्वरुप है।
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