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अब तक की सबसे विशाल मंदाकिनी “फ़ीनिक्स” को खोज लिया गया है। यह हमारी पृथ्वी से 5.7 अरब प्रकाश वर्ष की अनुमानित दूर पर स्थित है। इस मंदाकिनी का नाम “फ़ीनिक्स” न केवल इसकी स्थिरता (स्थिति) को देखकर रखा गया है। बल्कि यह मरकर पुनः जीवित होने वाले पौराणिक पक्षी के समान, गुणों को दर्शाती है। इस मंदाकिनी में प्रतिवर्ष 740 (अनुमानित) तारों का जन्म होता है। “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी लगभग एक दिन में दो तारों को उत्पन्न करती है। जबकि हमारी आकाशगंगा एक वर्ष में औसतन 1 से 2 तारों को ही जन्म देती है। ऐसा मालूम होता है कि “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी कभी भी नष्ट नहीं होगी ! “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी द्वारा तारों को जन्म देने की यह अभूतपूर्व दर अन्य मंदाकिनियों की तुलना में 5 गुना से अधिक है। और यह मंदाकिनी फ़ीनिक्स नक्षत्र में स्थित है। यह “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी के नामकरण का एक कारण है। 740 तारों को प्रतिवर्ष जन्म देने वाली मंदाकिनी को मंदाकिनियों की माँ भी कहा गया है।

चित्र में : गुच्छे के मध्य में तारों को जन्म देने वाली असाधारण घटना घटित हो रही है।
अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित खगोलविदों द्वारा दक्षिण ध्रुव में स्थित टेलीस्कोप का उपयोग करके “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी को 2010 में ही खोज निकला गया। परन्तु इसकी विस्तृत जानकारी के साथ औपचारिक घोषणा 15 अगस्त 2012 को की गई। शोधकर्ताओं के अनुसार इसके केंद्र में विशालकाय तारों का जन्म होता है। शोधकर्ताओं ने जब फ़ीनिक्स मंदाकिनी से आने वाली क्ष-किरणों (X-ray), दृश्य प्रकाश किरणों, पराबैगनी प्रकाश किरणों और अवरक्त प्रकाश किरणों का बीते वर्षों में अनुसरण करके मापन किया। तब जाकर फ़ीनिक्स मंदाकिनी में जन्म लेने वाले तारों की दर ज्ञात हो पाई। और फ़ीनिक्स मंदाकिनी के गठन का पता चल पाया। हमारी आकाशगंगा (200 अरब तारे) की तुलना में “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी में 3 खरब तारे हैं। और वहीं “फ़ीनिक्स” मंदाकिनी के केंद्र का द्रव्यमान हमारी आकाशगंगा के केंद्र (4 लाख सौर द्रव्यमान) की तुलना में अनुमानित 10 अरब सौर द्रव्यमान है। यह स्वाभाविक रूप से महा- मंदाकिनी फ़ीनिक्स है। जिसकी जानकारी नासा के चन्द्र दूरदर्शी द्वारा प्राप्त हुई है।

केंद्रीय आकाशगंगा
माइक्रो किरण (नारंगी), दृश्य प्रकाश किरण (लाल, हरा, नीला)
और पराबैंगनी किरण (नीला) द्वारा
"फ़ीनिक्स" मंदाकिनी की छवि को दिखलाया गया है।
स्रोत : नासा

अज़ीज़ राय के बारे में

आधारभूत ब्रह्माण्ड, एक ढांचा / तंत्र है। जिसमें आयामिक द्रव्य की रचनाएँ हुईं। इन द्रव्य की इकाइयों द्वारा ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ। आधारभूत ब्रह्माण्ड के जितने हिस्से में भौतिकता के गुण देखने को मिलते हैं। उसे ब्रह्माण्ड कह दिया जाता है। बांकी हिस्से के कारण ही ब्रह्माण्ड में भौतिकता के गुण पाए जाते हैं। वास्तव में आधारभूत ब्रह्माण्ड, ब्रह्माण्ड का गणितीय भौतिक स्वरुप है।
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